श्री महालक्ष्मी दीपोत्सव निमित्त मुहूर्त वेला विक्रम संवत् २०७८ इस्वी सन 2021 बही खाते लाने के शुभ मुहूर्त और महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त और विधि

 


बही खाते लाने के शुभ मुहूर्त

1.शुभ विक्रम संवत् २०७८ आश्विन शुक्ला २ शुक्रवार दि 8-10-2021 कोप्रातः 7.30 से 10.30 बजे तक तथा सायं 4.30 से 6.00 तक श्रेष्ठ है। 

2.आश्विन शुक्ला १० (विजयदशमी) शुक्रवार दि. 15-10-2021 को प्रातः 7.30 से 10.30 बजे तक तथा दिन में 12.05 से 1.30 तक समय शुभ है।

3.आश्विन शुक्ला १५ बुधवार दि. 20-10-2021 को प्रातः 7.00 से 9.00 तथा प्रातः 10.30 से 12.00 बजे तक तथा सायं 4.30 से 6.00 तक समय उत्तम है।  

4. कार्तिक कृष्णा ५ सोमवार दि. 25-10-2021 को प्रातः 9:00 से 10.30 बजे तक तथा सायं 3.00 से 6.00 तक समय शुभ है।

5. कार्तिक कृष्णा 7 गुरुवार दि. 28-10-2021 प्रातः 6.00 से 7.30 बजे तक तथा दिन में 11.00 से 1.30 तक तथा सायं 4.30 से 7.30 तक समय सर्वश्रेष् है।

6. कार्तिक कृष्णा ७ गुरुवार दि. 28-10-2021 "पुष्य नक्षत्र" प्रातः 9.41 से प्रारम्भ होकर शुक्रवार दि. 29-10-2021 को सुबह 11.37 तक विद्यमानरहेगा। यह पूरा समय सर्व श्रेष्ठ है।

 7. कार्तिक कृष्णा १२ मंगलवार (धनत्रयोदशी) दि. 2-11-2021 दिन 10.30 से 1.30 बजे तक समय शुभ है।

* धन त्रयोदशी कार्तिक कृष्णा १२ मंगलवार दि. 2-11-2021 को है। * धनकुबेर पूजन कार्तिक कृष्णा १२ मंगलवार दि. 2-11-2021 को प्रात 10.30 से 1.30 तक शुभ तथा सायं 7.30 से 9.00 बजे तक श्रेष्ठ है।

* रूप चतुर्दशी (अभ्यंग स्नान) : कार्तिक कृष्णा १३/१४ बुधवार दि. 3-11 2021 को प्रातः 6.00 से 9.00 तथा 10.30 से 12.00 बजे तक समय शुभ है।

* महालक्ष्मी दीपोत्सव: कार्तिक कृष्णा ३० गुरुवार दि. 4-11-2021 को है। दीपोत्सव निमित पीठ (गादी स्थापना) कार्तिक कृष्णा ३० गुरुवार दि. 4-11 2021 को ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 4. 15 से 7.30 बजे तक सर्व श्रेष्ठ है तथा दिन में 11.30 से 1.30 भी समय उत्तम है।

* श्री महालक्ष्मी दीपोत्सव पूजन कार्तिक कृष्णा ३० गुरुवार दि. 4-11-202 को सर्व लोकमान्य गोधुलिक वेला सायं 4.01 से 6.45 तक विदित है। वृषभ स्थिर सायं 6.33 से 8.35 तक शुभ है। मिथुन शुभ लग्न रात्रि 8.36 से 10.46 शोभायमान रहेगा। सर्व श्रेष्ठ सिंह स्थिर लग्न मध्यरात्रि 12.56 से 2.58 तक शोभायम रहेगा।


नोट दिन में पूजन करने वाले श्रद्धालु वृश्चिक स्थिर लग्न प्रातः 7.50 से 10.06 तथा विजय मुहूर्त्त दिन में 10.45 से 1.30 तक करना समय शुभ है।

* बही खातों में मेल देने हेतु नया वर्ष कार्तिक शुक्ला १ शुक्रवार दि. 5-11-20 को प्रातः 7.30 से 10.30 बजे तक शुभ तथा दिन में 12 15 से 1.30 तक समय है।


पूजन  सामग्री व विधि

कुंकुम, केसर, चावल 1 Kg, मोली, गेहूं 1/2 Kg. हल्दी गाँठ 16, गोल सुपारी 15, लौंग, इलायची, कमलगट्टा, पीली सरसों, गुड-धाणा, गोला, कलश, नारियल, लाल- सफेद कपड़ा, लक्ष्मीजी के वस्त्र, काँच, फंधी, चूड़ी, श्रृंगार सामग्री, घी, तेल, रूई, कपूर, माचिस, अगरबत्ती, इत्र, पंचामृत, पंचमेवा, आमपत्ते, पान पत्ता, खुले फूल, माला, दूर्वा, फल, प्रसाद, अभीर, गुलाल, सिंधुर एवं खील पतासा

• सनातन धर्मावलम्बी सातन पुस्तकों में निम्न प्रकार लिखें: श्री गणेशजी महाराज सदा सहाय, श्री सरस्वती माता सदा सहाय, श्री देवताजी महाराज सदा सहाय श्री कुल देवताजी महाराज सदा सहाय, श्री महालक्ष्मीजी सदा भण्डार भरपूर सखसी। सं. २०७४ जैन धर्मावलम्बी सजन निम्न प्रकार लिखें। श्री परमात्मा ने नमः श्री सदगुरुभ्यो नमः श्री शारदाय नमः श्री गौतम स्वामी की लब्धि हो, श्री केशरियाजी का भण्डार भरपूर हो, श्री भरत चक्रवती की ऋदि हो श्री कायवना सेठ का सौभाग्य हो, श्री बाहुबली का बल हो, श्री घमा शालिभद्रजी की सम्पत्ति हो । सं. २००८

सरल पूजन विधि :

दीपक अगरबती प्रज्वलित करके पूजन कि सब सामग्री पर गंगाजल का छींटा देकर शुद्ध करें।

टोपी धारण कर तिलक लगायें मौली बाँध लेवें। विधि सर्व प्रथम जल चढ़ावें फिर पंचामृत पुनः जल बाद मौली, केसर, कुंकु, चावल, पुष्प, दूब, अबीर गुलाल, धूप, दीप, प्रसाद, गुडधाणा, पंचमेवा, फल, पानसुपारी, लाँग, इलायची, दक्षिणा। इसी प्रकार क्रम से पहले गणपति की फिर पांचो पूजन करें। क्रम: १) गणपति २) कलश ३) नवग्रह ४) मातृका ५) महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती पूजन बही खातों में केशर से स्वास्तिक आदि करके फिर गतवर्ष दीपावली पर बाँधा नारियल तोड़कर, उसी में आरती करें। आरती सारी दुकान में घुमायें। फिर भगवान पर पुष्प चढ़ाकर नमन करें।

महालक्ष्मीजी की आरती

ओ३म जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता। ओ३म ॥ ●उमा रमा ब्रह्माणी तुम ही जग-माता सूर्य चन्द्रमा घ्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ओ३म ॥ दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पती दाता। जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाताओ३म तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता। कर्म-प्रभाव- प्रकाशिनि, भव निधि की दाता ॥ओ३म ॥ जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ओ३म ॥ तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न कोई पाता। खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता। ओ३म ।। शुभगुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं ॥ ओ३म ॥ महालक्ष्मीजी की आरती जो कोई नर गाता उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ओ३म

महालक्ष्मी माता की जय 

दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाये।



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