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इसे कहते है कसक ओर चाहत (कहानी)

ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक कोई जाना पहचाना सा चेहरा जर्नल बोगी में आ गया। मैं अकेली सफर पर थी। सब अजनबी चेहरे थे। स्लीपर का टिकिट नही मिला तो जर्नल डिब्बे में ही बैठना पड़ा। मगर यहां ऐसे हालात में उस शख्स से मिलना। जिंदगी के लिए एक संजीवनी के समान था।  जिंदगी भी कमबख्त कभी कभी अजीब से मोड़ पर ले आती है। ऐसे हालातों से सामना करवा देती है जिसकी कल्पना तो क्या कभी ख्याल भी नही कर सकते ।  वो आया और मेरे पास ही खाली जगह पर बैठ गया। ना मेरी तरफ देखा। ना पहचानने की कोशिश की। कुछ इंच की दूरी बना कर चुप चाप पास आकर बैठ गया। बाहर सावन की रिमझिम लगी थी। इस कारण वो कुछ भीग गया था। मैने कनखियों से नजर बचा कर उसे देखा। उम्र के इस मोड़ पर भी कमबख्त वैसा का वैसा ही था। हां कुछ भारी हो गया था। मगर इतना ज्यादा भी नही।  फिर उसने जेब से चश्मा निकाला और मोबाइल में लग गया। चश्मा देख कर मुझे कुछ आश्चर्य हुआ। उम्र का यही एक निशान उस पर नजर आया था कि आंखों पर चश्मा चढ़ गया था। चेहरे पर और सर पे मैने सफेद बाल खोजने की कोशिश की मग़र मुझे नही दिखे।  मैंने जल्दी से सर पर साड़ी का पल्लू डाल लिया। बालो को डाई किए

Facebook में Poke का मतलब क्या होता है Poke Meaning in Hindi

  Facebook में Poke करने का अर्थ है  कि आप उस फेसबुक यूजर का ध्यान अपनी ओर खीचना चाहते हैं ठीक उसी तरह जिस तरह जब रियल लाइफ में आप किसी का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं तो और वो नहीं सुन पता है तो हम उसे अपने हाथ से छूकर उसका ध्यान आकर्षित करते हैं. आपके रियल लाइफ की तरह फेसबुक ने आपको इन्टरनेट की दुनिया में भी एक ऐसा आप्शन दिया है जिसके द्वारा आप किसी फेसबुक यूजर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं. जैसे मान लीजिये कि कोई आपका दोस्त आपको भूल गया है, आपके फेसबुक मेसेज का रिप्लाई नहीं देता है, आपके पोस्ट को लाइक, आपके फेसबुक पोस्ट पर कमेंट नहीं करता है तब जाकर आप इस फीचर का उपयोग कर उसका ध्यान अपनी और खिंच सकते हैं.

स्वयं की आंख

  एक अंधा आदमी  था। उसके आठ लड़के थे, आठ बहुएं थीं। चिकित्सकों ने कहा कि तुम्हारी आंख ठीक हो सकती है, आपरेशन करना होगा। उसने कहा, क्या करेंगे? फायदा क्या है? मेरी पत्नी के पास दो आंखें हैं, मेरे आठ लड़कों के पास सोलह आंखें हैं, मेरी आठ बहुओं के पास सोलह आंखें हैं। ऐसी चौतीस आंखें मुझे उपलब्ध हैं। दो न हुईं मेरी, क्या फर्क पड़ता है? लेकिन संयोग की बात! जिस दिन उसने यह इंकार किया उसी रात घर में आग लग गई। वे चौतीस आंखें भागकर बाहर निकल गईं। अंधा चिल्लाता रहा, टटोलता रहा रास्ता। लपटों में जल-भुनकर गिरकर मर गया। मरते वक्त एक ही भाव उसके मन में था, अपनी आंख अगर आज होती…! जो बाहर भागकर निकल गए–पत्नी, बेटे, बहुएं, उनको याद आयी उसकी, लेकिन बाहर जाकर याद आयी। जब अपने प्राण संकट में पड़े हों तो किसको किसकी याद आती है? इसलिए महावीर कहते हैं, अपनी आंख। आंखवालों से सीख लेना, मगर अपनी आंख के अतिरिक्त किसी और की आंख को अपना सहारा मत बनाना।अपनी आंख जब तक न मिल जाए, सीखना, साधना; लेकिन चेष्टा यही रखना कि अपनी आंख मिल जाए। अपनी आंख से ही कोई सत्य का दर्शन कर पाता है।सत्य के साक्षात के लिए स्वयं की आंख के अति

"माँ के चरणों की मिट्टी"

"माँ के चरणों की मिट्टी" एक पापी इन्सान मरते वक्त बहुत दुख और पीड़ा भोग रहा था। लोग वहाँ काफी संख्या मेँ इकट्ठे हो गये, वहीँ पर एक महापुरूष आ गये, पास खड़े लोगोँ ने महापुरूष से पूछा कि आप इसका कोई उपाय बतायेँ जिससे यह पीड़ा से मुक्त होकर प्राण त्याग दे और ज्यादा पीड़ा ना भोगे  महापुरूष ने बताया कि अगर जन्नत की मिट्टी लाकर इसको तिलक किया जाये तो ये पीड़ा से मुक्त हो जायेगा। ये सुनकर सभी चुप हो गये। अब जन्नत कि मिट्टी कहाँ से और कैसे लायेँ ? महापुरुष की बात सुन कर एक छोटा सा बच्चा दौड़ा दौड़ा गया और थोड़ी देर बाद एक मुठ्ठी मिट्टी लेकर आया और बोला ये लो जनन्त की मिट्टी इसे तिलक कर दो।  बच्चे की बात सुनकर एक आदमी ने मिट्टी लेकर उस आदमी को जैसे ही तिलक किया कुछ ही क्षण मेँ वो आदमी पीड़ा से एकदम मुक्त हो गया। ये चमत्कार देखकर सब हैरान थे, क्योँकि जनन्त की मिट्टी कोई कैसे ला सकता है ? और वो भी एक छोटा सा बच्चा। हो ही नहीँ सकता। महापुरूष ने बच्चे से पूछा-बेटा! ये मिट्टी तुम कहाँ से लेकर आये हो ?  पृथ्वी लोक पे कोन सा जनन्त है जहाँ से तुम कुछ ही पल मेँ ये मिट्टी ले आये? लड़का बोला-बाबा जी एक दि