"माँ के चरणों की मिट्टी"
"माँ के चरणों की मिट्टी"
एक पापी इन्सान मरते वक्त बहुत दुख और पीड़ा भोग रहा था।
लोग वहाँ काफी संख्या मेँ इकट्ठे हो गये, वहीँ पर एक महापुरूष आ गये, पास खड़े लोगोँ ने महापुरूष से पूछा कि आप इसका कोई उपाय बतायेँ जिससे यह पीड़ा से मुक्त होकर प्राण त्याग दे और ज्यादा पीड़ा ना भोगे
महापुरूष ने बताया कि अगर जन्नत की मिट्टी लाकर इसको तिलक किया जाये तो ये पीड़ा से मुक्त हो जायेगा। ये सुनकर सभी चुप हो गये। अब जन्नत कि मिट्टी कहाँ से और कैसे लायेँ ? महापुरुष की बात सुन कर एक छोटा सा बच्चा दौड़ा दौड़ा गया और थोड़ी देर बाद एक मुठ्ठी मिट्टी लेकर आया और बोला ये लो जनन्त की मिट्टी इसे तिलक कर दो।
बच्चे की बात सुनकर एक आदमी ने मिट्टी लेकर उस आदमी को जैसे ही तिलक किया कुछ ही क्षण मेँ वो आदमी पीड़ा से एकदम मुक्त हो गया। ये चमत्कार देखकर सब हैरान थे, क्योँकि जनन्त की मिट्टी कोई कैसे ला सकता है ? और वो भी एक छोटा सा बच्चा।
हो ही नहीँ सकता।
महापुरूष ने बच्चे से पूछा-बेटा! ये मिट्टी तुम कहाँ से लेकर आये हो ?
पृथ्वी लोक पे कोन सा जनन्त है जहाँ से तुम कुछ ही पल मेँ ये मिट्टी ले आये?
लड़का बोला-बाबा जी एक दिन हमारे स्कूल की टीचर ने बताया था कि माँ के चरणोँ मेँ सबसे बड़ा जनन्त है, उसके चरणोँ की धूल से बढ़कर दूसरा कोई जनन्त नहीँ।
इसलिये मैँ ये मिट्टी अपनी माँ के चरणोँ के नीचे से लेकर आया हूँ।
बच्चे के मुँह से ये बात सुनकर महापुरूष बोले-बिल्कुल बेटे माँ के चरणों से बढ़कर इस जहाँ मेँ दूसरा कोई जनन्त नहीँ। और जिस औलाद की वजह से माँ की आँखो मेँ आँसू आये ऐसी औलाद को नरक इस जहाँ मेँ ही भोगना पड़ता है।
इसलिये अगर आप चाहे कितनी भी तरक्की कर लेँ, कितना भी रूपया पैसा जमा कर लेँ आसमां की उच्चाईयोँ को क्योँ ना छू लेँ जब तक आपकी वजह से माँ खुश नहीँ है तब तक वो भगवान भी आपसे खुश नहीँ होगा। कोई भी दान, पुण्य और तीर्थ करने का फल आपको नहीँ मिलेगा..!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें